पोस्टल बैलट के बाद EVM से होने वाले चुनाव के दौरान कुछ जगह फर्जी वोटिंग होने की शिकायतें सामने आती रहती हैं। चुनाव के दौरान इस तरह की समस्या को खत्म करने के लिए एक्सपर्ट ने बायोमीट्रिक सिस्टम से मतदान कराने की सलाह दी है। उसमें किसी और के नाम पर फर्जी वोटिंग को रोकना, मृत व्यक्ति के नाम पर वोट डालने से रोकना और अगर कहीं कोई बाहुबली कथित रूप से बूथ कैप्चरिंग करके अपने पक्ष में वोट डलवाने की कोशिश भी करे तो उसे भी रोका जा सकेगा। बायोमीट्रिक सिस्टम से वोटिंग कराने से इस तरह के फायदे हो सकते हैं। साथ ही वोट डालने के लिए वोटरों को लंबी-लंबी कतारों से भी काफी हद तक मुक्ति मिल सकेगी। बायोमीट्रिक सिस्टम से वोटर की पहचान करने में समय बहुत कम लगेगा।

पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताए फायदे

इस मामले में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत बायोमीट्रिक सिस्टम से वोटिंग होने के कई फायदे होंगे। इससे बोगस वोटिंग पर तो लगाम लगेगी ही साथ ही इसका एक और बड़ा फायदा उन माइग्रेट वोटरों के वोट पड़ने के रूप में भी मिल सकेगा जो मेहनत-मजदूरी, नौकरी करने या फिर दूसरे किसी काम से बड़ी संख्या में अपने घरों से दूसरे चले जाते हैं। बायोमीट्रिक सिस्टम से इस तरह के वोटरों की वोट डलवाना भी संभव हो सकेगा वह भी पूरी तरह से पहचान के तौर पर। बस, उनके लिए उन इलाकों में पोलिंग स्टेशन बनाने होंगे, जहां मजदूर शिफ्ट हुए होंगे।

रावत ने बताया कि वोटर लिस्ट को बायोमीट्रिक सिस्टम से अपग्रेड करने का काम शुरू भी हो गया था। 2015 में वोटर कार्ड को वॉलंटियरी आधार से लिंक करने का काम शुरू किया गया था। चार महीने में ही 30 करोड़ वोटरों के आधार कार्ड वोटर कार्ड से लिंक हो गए थे। बाद में मामला कोर्ट में चला गया। 2020 में इस बारे में प्रस्ताव सरकार को भेजा भी गया था। अभी इस पर और काम होना बाकी है।